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बनते बनते बिगड़ गई है शायद दूर निकल गई है ढूंढता

बनते बनते बिगड़ गई है 
शायद दूर निकल गई है
ढूंढता तो मैं आज भी हूं
न जाने वो किधर गई है
बनते बनते.....
ऐसे भी कोई जाता है क्या
अपनों को सताता है क्या
लगता किस्मत फिसल गई है
बनते बनते.....
वक्त भी खेलता है खेला
वरना क्यों होता झमेला
वो भी ज़िद पर अड़ गई है
बनते बनते.…..
अब तो भरोसे का साथ है
हर बात में ही कुछ राज़ है
"सूर्य" पे इल्जाम मढ गई है
बनते बनते.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #बिगड़ गई  Rama Goswami Babli BhatiBaisla Babli Gurjar SHAYAR (RK) Ayesha Aarya Singh