कुछ अनकहे अनसुलझे से लफ़्ज मेरे, रोती हुई आँखों के आँशुओं से.... जो अब तक ना सुख सके, वादे किये थे संग साथ निभाने का, जो सिर्फ़ यादें ही बनकर साथ रह गए, कुछ अनकहे अनसुलझे से लफ़्ज मेरे, जिनको वो कभी ना समझ सकें... अब तो हर दिन यादों में गुज़रता हैं, हर रात निगाहें तारों पे जा टिकता हैं.. अब बच्चों की कहानियों में भी सरहद का ज़िक्र होता हैं बच्चों के पूछने पर भी हम ना उन्हें समझा सके.. कुछ अनकहे अनसुलझे लफ्ज़ मेरे, जो रोती आँखों को ना समझा सके..... बेटा पूछता हैं पापा कब आयेंगे माँ, बूढ़ी माँ पूछती हैं बेटा कब आएगा बहू, उन्हें आज तक अपने लफ़्ज़ों से ना ये बता सके.... वो देश के ख़ातिर हमें अधूरा छोड़ के जा चुके।।।। कुछ अनकहे अनसुलझे से लफ़्ज मेरे, जो कभी ना यादों को भूला सके.... #श्रद्धांजलि#वीर शहीदों को नमन