|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10
।।श्री हरिः।।
6 – अलोभ
'अर्थानर्थेक्षया लोभम्'
वे दोनों मित्र थे। सगे भाइयों में भी ऐसा सौहार्द कम ही देखा जाता है। यद्यपि दोनों की प्रकृति उनके शरीर की बनावट के समान सर्वथा भिन्न थी; किंतु इस वैषम्य का उनकी मैत्री पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।