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क्यूं जीना सीखा कर, अब दूर जा रही हो. क्या तुम्हार

क्यूं जीना सीखा कर, अब दूर जा रही हो.
क्या तुम्हारी आंखों में वो प्यार नही था,
या सिर्फ मेरी रूह को तुम सता रही थी.
पहली नजर में ही सब कुछ निछावर कर दिया था तुझपे
जब पहली बार मिला था तुम्हे अपने शहर की गलियों में
नजरें मिला कर फिर नजरें चुराया करता था, डर लगता था कही मेरी ही नजर न लग जाए तुझपर,
अब मां भी है पूछती उसका कोई जवाब नही आता,
में शांत रहता बातों को घुमा देता,
आंख बंद कर,गहरी सास लेता
आंख के आसूं रोक लेता और मन के आसू बहने देता,
पहले भी टूटा हुं कई दफा,इस बार की चोट जरा गहरी होगी
दिल से नही चाहता तुझको,पर आत्म क्यों मेरी रोती होगी
मोहब्बत है मुझे तुमसे इसमें सिर्फ मेरा हक़ है
ऐक तरफा प्यार की सुना है ताकत बहुत है।

©yr (तमन्ना)
  ख्वाहिश.....

ख्वाहिश..... #Shayari

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