अंजाम-ए-इश्क कुछ यूँ हुआ कि... शब्दों में बयाँ ना कर सके हम अपनी हार का आलम उन्हें तो बस हमसे प्यार हुआ, हम नादान उनसे इश्क़ कर बैठे... लफ़्ज़-दर-लफ़्ज वो हमसे कहते गये मोहब्बत बेइंतहा है तुमसे... देखो तो उनकी लफ़्ज-ऐ-क़ायामी जिस लम्हा गये छोड़ हमें इन्हीं लफ्जो को एक बार फिर कह गये... कुछ मजबूरियां बताई हमे, कुछ ज़िम्मेदारियाँ.... और जाते -जाते हमे इश्क का मरीज़ कह गए... जानते हम भी थे न मजबूरियाँ थी, न जिम्मेदारियां... कोई और खूबसूरत लम्हा बनने लगा था उनका... फिर एक बार उन्हें किसी से हो गयी थी.... "....मोहब्बत बेइंतहा.."..@nidsneel #aanjam -e-ishk#beintehaa mohbbat#love#emmotions#poetry#feelswriter