उसके घर में छोटी जाति का मानव हंसता खेलता आया उसका घर अपवित्र हो गया उसने एक हंसते खेलते जानवर को मार दिया और उसका मीट अपनी थाली में परोस कर घर को पवित्र कर दिया हमारी सोच हमें कहां ले जाती है जिंदे मनुष्य से अपवित्र हो जाते हैं और मृत्यु देकर एक जानवर को देवता प्रसन्न हो जाते हैं,,, बड़े स्वाद में केएफसी नॉन वेज बर्गर खाते हैं थोड़ा सा भी मन में यह ख्याल नहीं लाते हैं किस तरह उस बेजुबान को दर्द भरी मौत दी होगी तुम्हारी थाली तक पहुंचाने के लिए,,, जब किसी का मांस तुम खाते हो तब यह महसूस नहीं होता कि खुद पर भी तो वही मांस है और यह फील नहीं होता कि तुम भी वही मांस खा रहे हो खुद का,,, स्वाद के चक्कर में कितने बेजुबान प्राणी दर्द भरी मौत के घाट उतारे जाते