मन की मेहरबानियाँ कहती हैं, हर किसी पे ऐतबार न कर। जो पूरा न कर सके तू कभी, ऐसा कहीं कोई इक़रार न कर। मुक़म्मल चाहत पाने के लिए, जो तू यूँ दर-दर भटकता है। ख़्वाहिशों को अपनी लगाम दे, बेवजह को इंकार न कर। तुझको वो जरूर मिलेगा, जो है तेरी किस्मत में लिखा। हसरतों को अपनी काबू कर, हर किसी से इज़हार न कर। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 178 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।