जो खुद टूटी छत के नीचे सोता है तुम्हारे लिए ठिकाने बनाता है जो रोज एक पहर भूखे ही रहता है तुम्हारे घर भोजन पहुंचता है जो रोज अपने सपने मार के जीता है दूसरों के सपने सजाता है एक मजदूर ही तो है जो इस दुनिया का बोझ उठता है ~ Vishal #Labour Day