खत के एहसास से,, भेजें कोई खत पढ़ सके कोई आँखे ऐसा रहा अब पहरा नहीं... पहले इंतज़ार खत का अब इंतजार खत को पढ़ सके मुझे शायद रहा कोई चेहरा नहीं.... निगाहें भी डूब गई दुनिया के चकाचौंध के आगोश में इसक़दर... की शब्दों के एहसासों से रहा ताल्लुक अब गहरा नहीं।। ©Ashwini Lone #खत_के_लफ्ज़_से