शहर की लड़की शहर की लड़की , कुछ ही है सम्मान की बोधक बाकी सब मड़की, ना पूछो सहाब शहर की लड़की संस्कृति की इन्होंने ला दी कड़की माँ ने कुछ कह दिया तो भावना से भड़की क्या बताएं सहाब, शहर की लड़की कतार चाहिए पुरुष मित्रो की शौंक रखती है आधे कपड़ो के चित्रों की बस लम्बे से फ़ोन से मुह दबाकर चिपकी हर घण्टे चाहिए सेल्फी की हिचकी इसीलिए तो लकड़ी की तरह पिचकी क्या बताएं सहाब शहर की लड़की आपसे मुझे यही है आश इनके बिल्कुल न बैठना पास नही तो आपको भी होगा आभास कि जीवन का कहाँ गया प्रकाश CAPTAIN HARSHIT KUMAR SAINI संवेदना