जिंदगी तूने कैसा टास खेला है रात भर गई कभी-कभी तो दिन अकेला है जीने के लिए तो रोज तू खर्ची देती है कितने सांस लेने हैं वह गिन भी लेती है सब अकेले हैं पर वह मेला है जिंदगी तूने कैस टास खेला है जिंदगी तूने कैसा ।।। ,,