( माँ ) मे माँ कि ममता ओर पिता के कन्धो का कर्ज कभी चुका नही सकता पिता कि ऊची वाणी माँ कि कहाणी मे कभी भुला नही सकता पिता का गुस्से से सुबह उठाना माँ का पेट भरने के बाद भी मुझे खिलाना मे भुला नहि सकता माँ कि ममता ओर पिता के कन्धो का कर्ज मे कभी चुका नही सकता भले ही पिता मुझे रोज निकम्मा ओर अवारा कहवे है पर माँ मुझे कभी बाबू तो कदे थाणेदार बतावे है मै पिता के सपने ओर माँ की इच्छा से भरी आँखो को कभी रूला नहि सकता मे माँ कि ममता ओर पिता के कन्धो का कर्ज कभी चुका नहि सकता ©Kavi Ashok samrat by ashok samrat #Lights