गुमनाम सफ़र था. किनारा ना था कोई हाथ बहुत थे लेकिन सहारा ना था कोई तुम आये और रोसन हुआ जहा फिर से आज कह दिया तुमसे बहाना ना था कोई sani #love#nojoto#poetry#sanigoswami