अच्छा ही हुआ की उछाल दी मेरी कमियां तुमने ज़माने में पोटली बनाकर, क्योंकी मेरी अच्छाइयों का बोरा उठा पाओ उतनी तुम्हारी औकात नहीं.. सकारात्मक