ज़िंदगी की शाम छुट्टी(खुदा)- "मेरे प्यारे बच्चों, गर हो भी गई तो क्या हुआ? क्या ज़िन्दगी की छुट्टी(रात) से तुम्हारा हो गया ब्याह? यदि 'ना' तो फिर छुट्टी(मौत) से डरना क्या? छुट्टी से क्या डरना, उसे तो आना है! एक दिन है यह सबुह से लेकर रात की एक छुट्टी है, तुम सबको छुट्टी मनाके छुट्टी से छुट्टी में ही मिल जाना है! यानि ज़िन्दगी भी छुट्टी, मौत भी छुट्टी, मेरी तो है ही छुट्टी, तुम्हारी भी होनी से छुट्टी से छुट्टी! सुलझा दी है मैंने यह गुत्थी, कि छुट्टी के आगे-पीछे, दायें-बायें, जहाँ भी जायें, छुट्टी को ही पायें! इसलिए एडवांस में छुट्टी की बधाई पायें!" @बधाई हो छुट्टी की प्यारी मुक्की👊😇की🙏 #Zindagi #BadhaiHoChuttiKi छुट्टी(खुदा)- "मेरे प्यारे बच्चों, गर ज़िन्दगी की शाम हो भी गई तो क्या हुआ? क्या ज़िन्दगी की छुट्टी(रात) से तुम्हारा हो गया ब्याह? यदि 'ना' तो फिर छुट्टी(मौत) से डरना क्या? छुट्टी से क्या डरना, उसे तो आना है! एक दिन है यह सबुह से लेकर रात की एक छुट्टी है,