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मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया। गैरमौज़ूदगी में

मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया।
गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।।

तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था।
इतनी देर में तुमतक कोई और आ गया।।

हम तरसते रहे बस तुम्हें छूने की ख़ातिर।
मेरे सामने कोई फलां सीने से लगा गया।।

तुम्हारे हाथों में इश्क़ की घड़ी मैंने बांधी।
क़िस्मत देखो वक़्त रकीब का आ गया।।

बिछड़ना ही सबकी लकीरों में लिखा है।
याद वही आता जो मोहब्बत निभा गया।।

©Shivank Shyamal मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया।
गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।।

तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था।
इतनी देर में तुमतक कोई और आ गया।।

हम तरसते रहे बस तुम्हें छूने की ख़ातिर।
मेरे सामने कोई फलां सीने से लगा गया।।
मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया।
गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।।

तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था।
इतनी देर में तुमतक कोई और आ गया।।

हम तरसते रहे बस तुम्हें छूने की ख़ातिर।
मेरे सामने कोई फलां सीने से लगा गया।।

तुम्हारे हाथों में इश्क़ की घड़ी मैंने बांधी।
क़िस्मत देखो वक़्त रकीब का आ गया।।

बिछड़ना ही सबकी लकीरों में लिखा है।
याद वही आता जो मोहब्बत निभा गया।।

©Shivank Shyamal मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया।
गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।।

तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था।
इतनी देर में तुमतक कोई और आ गया।।

हम तरसते रहे बस तुम्हें छूने की ख़ातिर।
मेरे सामने कोई फलां सीने से लगा गया।।