संवारती हूँ खुद को मैं, तेरी चाहत में झूम जाती हूँ। काजल नहीं लगाती मैं बस, आँखों में तुझको सजाती हूँ। चुपके से मेरे माथे पर तुम, वो काली बिंदीया लगाते हो। निख़र जाता है रूप मेरा, जो दर्पण तुम बन जाते हो। आफ़रीन ये दुनिया लगती है, जब सामने तुम आजाते हो।। ©Ritika Vijay Shrivastava love poetry in hindi poetry on love poetry lovers hindi poetry #जब_सामने_तुम_आजाते_हो❤️