उस रोज भी वो आई होगी,तुझे न पाकर मुरझाई होगी, मिलने का वादा जो किया , वो तुटा , वो रोई होगी.....! दर्द कैसे छुपायेगी वो और किससे जतायेगी वो सब भुलकर क्या चैन से सोयी होगी वो बिस्तर के कोने मैं जाकर तेरे खत पढकर दर्द दिल के गाके , वो हकलाते हकलाते रोई होगी तू तो बडा बेशरम निकला रे उसका हाथ छोडके किसी और का हाथ पकडा और 'तेरी राहे देखते मुरझाया उसका चांद जैसा मुखडा कैसी होगी राहे उसके मोम जैसे दिल की जो अब पत्थर बन चुकी है कही कुहा तो कही खाई होगी , इन सबसे वो घबराई होगी तेरे यांदो के खत वो जलाकर एक भी दाना खाई नही होगी तुझे लगा की औरों की तरह वो भी सब भूल चुकी होगी कैसे रहेगी , कैसे जियेगी वो गम सारे कैसे झेलगी वो आँसूओं से दुपट्टा भिगाकर जितेजी मर गयी वो कबकी मर गयी वो.......... sorry yar mi tuzi kahich madat karu shakle nahi😖😖