लेकिन मेरी हालत अभी उस बंजर जमी के जैसे है जिसपर होकर घने बादल गुजरते तो है लेकिन बरसते नही जिसके सिने पे मोटी-मोटी दरारो के सिवा और कुछ नही लेकिन एक दिन एक दिन ये जाते बादल लौटेंगे जब कोई अपनी मुठ्ठी मे भरके मेरी मिट्टी अपने सिने से लगाएगा और अपनी पलको के गिरते आँसूओ से मुझे भिगाएगा उस वक्त बरसात होगी और इतनी होगी कि ये पुरी जमी मोहब्बत के पानी से लबालब होगी। #लेकिन#nojoto#nojotohindi#nojotowriters