#OpenPoetry हां मालूम हैं मुझे तुम कभी नहीं समझ पाओगे वो अधूरापन जो मैं मेहसूस करती हूं तुम्हारे होते हुए भी तुम्हारे बिना रहती हूं हां तुम कभी नहीं समझ पाओगे मैं क्या मेहसूस करती हूं हां अब तुम कभी नहीं जान पाओगे मैं तुमसे कीतना प्यार करती थी। कृतिका गोयल©