कड़वा सच ************** खुदा परस्त है हम खुदा पर गज़ब का विश्वास रखतें हैं, गिराना तो चाहा लोगों ने नज़रों से ,पर हम कहां गिरते हैं। सदाकत होती गर जो निगाहों में तो जुदा हम कभी ना होते, जुदाई का दर्द सह कर यू खून के आंसू छुप छुप के ना रोते, फुसला लेना दिल को बालक समान अबोध समझ, ज़माना मासूमियत रहने नहीं देता भर जाए दिल तो आंख सोने कब देती हैं, जहां प्यार बेशुमार हो वह मजहब की दीवारें देखा नहीं करते, बच्चा इंसान पैदा होता है, मजहब का देना हम गवारा नहीं करते, खुशियां, खिलौने ,गम यह सब घर से ही बनते हैं, जहां होती है नज़र में इज्ज़त तो वो जिल्लत कहां देते हैं, रूला कर जो गया कोई खास अपना ही होता हैं, यूँ गैरौं के लिए हम बेवजह अपने आंसू जाया नहीं करते, सत्य, जो हृदय से प्यार करेगा वो सांसों से पीड़ा हर लेगा, जो दिखावा करता हैं , सिर्फ नजरों का धोखा करेगा। #paidstory4