मै शांति मार्ग का अनुयाई, मै प्रेम अहिंसा का पूजक, मै अपने धुन में रमा हुआ, मै करुण पंथ पर चलता हूं, पर कोई छल से भरा हुआ, कुटिल प्रहार जब करता है... तब सस्त्र उठाना पड़ता है.. तब सस्त्र उठाना पड़ता है.. जब नन्हे फूलों का बागवान, फूलों को अपने रक्त से सिचे है, उनके करुण कपोलों को, अपने संरक्षण में मिचे है , तब कोई जंगली जानवर घात लगाए, उन नन्हे फूलों पर ,आघात जब करता है तब सस्त्र उठाना पड़ता है.. तब सस्त्र उठाना पड़ता है.. मै राम सूत्र से बंधा हुआ, मर्यादाओं के पंथ पे चलता हूं, नीत हृदय प्रेम में लिए हुए, सबसे प्रेम मै करता हूं.. तब नारी मर्यादा खंडित करने को... कोई रावण, लक्ष्मण रेखा पार जब करता है... तब सस्त्र उठाना पड़ता है.. तब सस्त्र उठाना पड़ता है.. सस्त्र उठाना पड़ता है........