तुझे करवते बदलनी है तो बदल मै अपनी करवाते नही बदलूंगी तुझे लिखना है तो लिख मै इस कागज़ का क्या करूंगी तुझे मुबारक तेरी खुशियां मै गमो का क्या करूंगी तू बदल जा मै ईश झूठे इश्क का क्या करूंगी हेमलता तू भी करवते बदल ना जरा तन्हा रात कैसे गुजारूंगा रख लेना दिल को कागज समझ इशपे जब ख्वाब लिखूंगा मेरी हर खुशी में है तू सामिल इरादा है तेरा गम भी चुरा लूंगा बदलने वाला मै इतेफाक से मिला मै कोई इश्क नहीं तू चाह के भी जुदा ना कर पाए तेरी हाथो की लकीर बनुगा प्रीतम कुमार . ©pritam kuamr जुगलबंदी