चुनौतियां और हम *** बिन कुछ किए ही जो रोना रोते हैं जिंदगी के चौराहों में खड़े सिसकते रहते हैं, इसलिए कहता हूं- बिन *कुछ किए* रोना कैसा? चुनौतियों को संभालो कुछ करने का जज्बा पालो, वरना यूं ही कारवां आएंगे और चले जाएंगे, इसलिए कहता हूं- चुनौतियों बिना *कारवां* कैसा? चुनौतियों के शजर पर ही फूल खिला करते हैं खुशी के, वरना मुस्कुराया तो सब करते हैं, पर मुस्कुराहट में खुशी की चमक किसी-किसी के चेहरे पर होती है, इसलिए कहता हूं- बिन खुशी *मुस्कुराहट* कैसी? खुशियों से आबाद होती है जिंदगी पर चुनौतियों के कारवां को संवारने से, खुशियां मिलती है हमें चुनौतियों पर अपने आप को वारने से, और फिर खुशियों की दहलीज से मुस्कुराहटें आती हैं चेहरे पर सुकून बांटने जिंदगी में इसलिए कहता हूं- बिन *सुकून* के जिंदगी कैसी? ~गोपाल 'साहिल #glal #chunautiyaa #hindipoetry #hindiwriters #hindipoem #yqbaba #yqdidi