ख़ुशी तो सब बांटते हैं हम ग़म बांटने लगे हैं ग़म के साथ ग़म सहने का दम बांटने लगे हैं मुख़्तारे ज़ख़्म बनकर कुरेद ख़ुदी के ज़ख़्म हर शख़्स के ज़ख़्मों के मरहम बांटने लगे हैं #इंसान मरहमे ज़ख़्म