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अपने हैं तो अपनापन दिखता क्यों नहीं आए मुसीबत तो

अपने हैं तो अपनापन दिखता क्यों नहीं 
आए मुसीबत तो साथ देते क्यों नहीं 
अपनापन जताता यहाँ हर कोई 
दिल से रिश्ते निभाता नहीं कोई 
रंगमंच की कठपुतलियों जैसे 
हमें नाच नचाते हैं 
बंधे हैं कच्ची डोर से सब
थोडे से खिंचाव से टूट जाते हैं
कैसे रिश्ते - नाते साहब ...
फिजूल है सब बातें साहब ...
 ये नया दौर है साहब, यहाँ रिश्ते-नाते सब नाम के हैं। समाज को आइना दिखाती हुई एक रचना करें।
#रिश्तेनाते #collab #yqdidi 
..
YQ Sahitya पर हिंदी साहित्य और साहित्यकारों के बारे में पढ़ें। #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
अपने हैं तो अपनापन दिखता क्यों नहीं 
आए मुसीबत तो साथ देते क्यों नहीं 
अपनापन जताता यहाँ हर कोई 
दिल से रिश्ते निभाता नहीं कोई 
रंगमंच की कठपुतलियों जैसे 
हमें नाच नचाते हैं 
बंधे हैं कच्ची डोर से सब
थोडे से खिंचाव से टूट जाते हैं
कैसे रिश्ते - नाते साहब ...
फिजूल है सब बातें साहब ...
 ये नया दौर है साहब, यहाँ रिश्ते-नाते सब नाम के हैं। समाज को आइना दिखाती हुई एक रचना करें।
#रिश्तेनाते #collab #yqdidi 
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