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खामोश रातों में कहीं दूर तलक परिंदा तक नजर नहीं आ

 
खामोश रातों में कहीं दूर तलक परिंदा तक नजर नहीं आता 
बिछी है सफेद चादर और कलम से कोई लब्ज नहीं आता
 सर्द तन्हा सफर है मेरा कोई मेहमान तक नहीं आता 
नजराना दोस्त है हमारा पर अब उसका खत भी नहीं आता
 हर किसी की चाहत है यहां कुछ पाने की 
अकेला हु राहो पर चल पड़ा , अब और नहीं रुका जाता 
हे खुदा तुझे एहसास है मेरे प्यार का
 
खामोश रातों में कहीं दूर तलक परिंदा तक नजर नहीं आता 
बिछी है सफेद चादर और कलम से कोई लब्ज नहीं आता
 सर्द तन्हा सफर है मेरा कोई मेहमान तक नहीं आता 
नजराना दोस्त है हमारा पर अब उसका खत भी नहीं आता
 हर किसी की चाहत है यहां कुछ पाने की 
अकेला हु राहो पर चल पड़ा , अब और नहीं रुका जाता 
हे खुदा तुझे एहसास है मेरे प्यार का
simplelifewithra5269

Manoj Kumar

New Creator