कुछ थोड़ा पा रही हूँ, तो बहुत कुछ छूट रहा हैं, कुछ थोड़ा पा रही हूँ, तो बहुत कुछ छूट रहा हैं, कुछ थोड़ा मुस्कुरा रही हूँ, तो भी दिल ये कुछ टूट रहा हैं, सब के साथ होते हुए भी मानो कोई न कोई रूठ रहा है, अंदर सच्चाई तो अब ख़त्म हो गई है, सिर्फ़ और सिर्फ़ झूठ रहा है। कुछ थोड़ा पा रही हूँ, तो बहुत कुछ छूट रहा हैं, कुछ थोड़ा मुस्कुरा रही हूँ, तो भी दिल ये कुछ टूट रहा हैं। #sixtyfourthpoem #life #friendship #family #people #unexplainable #feelings #randomwords