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भेजा था तुम्हें पढ़ने तुम पढ़ाने लग गए और चार दिन

भेजा था तुम्हें पढ़ने तुम पढ़ाने लग गए
और चार दिन में पांव लडखडाने लग गए
उम्मीद भरी गगरी तुम जो लेके गए थे
भूल गए सब कुछ फड़फड़ाने लग गए
भेजा था तुम्हें पढ़ने......
हाथों से अपने खाई खूब खोद रहे हो
थोड़ा पूछने पे आज हड़बड़ाने लग गए
मंज़िल उसे मिली जो बनके अर्जुन रहा
तुम तो नैना गढ़ में नैना लड़ाने लग गए
भेजा था तुम्हें पढ़ने......
जीवन के चक्रव्यू में याद रखना मेरी बात
इस स्वप्न को सजाने में जमाने लग गए
तोड़ सारा बंधन ध्यान लक्ष्य पर ही रख
जब भी मिले जो "सूर्य" मुस्कुराने लग गए
भेजा था तुम्हें पढ़ने......

©R K Mishra " सूर्य "
  #पढ़ाई  Balwinder Pal Babita Kumari Sethi Ji Rama Goswami PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान'