देख जमाने के हरकत नैन गीले कर दीजिए गांव ने मिलकर जब उस बच्ची के हाथ पीले कर दिए न जाने कैसे आग थी न जाने कोई साप थी छाती पर उम्र 13 की थी क्या बोझ थी जाति पर बचपन का हर किस्सा हर पल यूं ही सताता है चिथरो को नोच नोच कर खाता रो रो कर देखो उस बच्ची ने दामन पूरा भर दिया हाथ से कलम छीन कल चूल्हे के हवाले कर दिया क्या बेटी होना पाप है बात की यह बात थी जला था बचपन मंडप पर कैसी मनहूस रात थी जूता था एक पेर पर एक पेर पर थी बेढीया हे जश्न का माहौल देखो मिल रहा पूरा गांव वह अकेली ही लड़ रही जैसे जल रहा पूरा सपना वक्त ऐसा गया विदाई उसकी हो गई देखो बचपन से जुदाई हो गई और सुना था होस तक ना थी उसे वस्त्रहीन कर दिया हैवानियत का नाच था सफल चला 9 महीनों का 14 की उम्र में मां से बना दिया