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आसमां से गीरे या आँखों से, बेरंग वो पानी ही हैं...

आसमां से गीरे या आँखों से, बेरंग वो पानी ही हैं... 
सुकून नींद आँखों कि, वो छाव घर के आशियाने में हैं...
गेरो कि मोहब्बत से क्या रुसवाई करना
छोड़ो बाजार में बिकते रुमाल ही तो हैं...

arun✍️... sed poetry#arun#by nojoto world
आसमां से गीरे या आँखों से, बेरंग वो पानी ही हैं... 
सुकून नींद आँखों कि, वो छाव घर के आशियाने में हैं...
गेरो कि मोहब्बत से क्या रुसवाई करना
छोड़ो बाजार में बिकते रुमाल ही तो हैं...

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arunendra1862

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