#OpenPoetry ऐ हवा तू रुक जा जरा.... ऐ हवा तू रुक जा जरा, बादल को बरसने तो दे, आसमाँ मिला नही जमीन से बोहोत वक़्त से, दोनों को मिलकर रोने तो दे.... ये बरसात ही जरिया है, दोनों के मिलने का, दोनों को एक दूसरे के घाव धोंने तो दे, ऐ हवा तू रुक जा जरा, बादल को बरसने तो दे... अगर मिट्टी है जमीन का साया, तो पानी आसमा का, दोनों को एक दूजे से मिलने तो दे, वो एक प्यारी सी महक बहने तो दे, ऐ हवा तू रुक जा जरा, बादल को बरसने तो दे.... -अजय चौरासिया #OpenPoetry