"मैं नही हूँ यहाँ" बात ऐसी हैं,कि बात कुछ भी नही, मैं नहीं हूँ यहाँ...शायद वहाँ भी नही,, और याद ना रहूँ मैं,ये बात ना करो, इक पन्ना ही तो हूँ...कोई किताब नही, ज़रूर वक़्त लगेगा,मुझे पढ़ने में ए-ग़ज़ल,, मग़र समझ ना आएँ मुझमे..... ऐसी तो कोई बात नही,, जिस दिन लफ्ज़ ना सुनूँ मैं.., लबों से तुम्हारे,, वो दिन भला कैसे कटे, रातों में वो बात नही,, मैं दिखाना नही चाहता ..जो मैं हूँ,, जज़्बात दिखाकर होगा क्या.., जो मेरा हैं वो समझ लेगा, मैं समझाने का हक़दार नही,, मैं समझता हूँ तुम जो कहना चाहते हो, तुम्हारी बातों से मैं परेशां नही,, और कितना याद करता हूँ...तुम्हें, ये मेरी पलकों के सिवा किसी को याद नही,, बात ऐसी हैं,कि बात कुछ भी नही,, मैं नही हूँ यहाँ,शायद वहाँ भी नही...।। ©Vaibhav Dadhich #lovetaj