रक्त का प्रवाह देख कविता की धार देख और देख कैसे कैसे भाव लिखे जा रहे। चोटियों से चोटियों तक का विचार देख देख ऋषि मुनि के स्वभाव लिखे जा रहे। लिखे जा रहें हैं सारे साम दाम दण्ड भेद कहीं पर धूप कही छाँव लिखे जा रहे। कुछ लोग लिखते हैं आज भी मधुर गीत और कुछ लोग काँव काँव लिखे जा रहे। -अमूल्य मिश्रा #NojotoQuote