जल उठे लोभ बस्ती जली और घर जले कुछ ने भरी उड़ान और कुछ के पर जले कुछ हुए राख, हुए खाक और उड़ गए और कुछ किसी बेजान के ईमान पर जले यूं लगा शैतान की हैवानियत पसर रही हर छोर से इंसानियत समेट ली और घर चले हम भी रहे जमी तलक, कुछ लोग थे जो हवा में थे आई एक नई दोपहर, हमारे पांव और उनके सर जले! #DPF #लोभ #kavishala #nojoto "जल उठे लोभ"