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इस जगत के सारे प्यार, सारी प्रीतिया, सारे लगाव, सा

इस जगत के सारे प्यार, सारी प्रीतिया, सारे लगाव, सारी आसक्तिया अनुभव करना जरूरी हैं। अनुभव के सिवाय और कोई मुक्ति नहीं है। मन की पीड़ा से गुजरना ही होगा। मन के विषाद को सहना ही होगा। मन की हार को अनुभव करना ही होगा। कोई सस्ता रास्ता नहीं है। और भगोड़े सस्ता रास्ता खोज लेते हैं। वे अनुभव से वंचित रह जाएंगे। और जो अनुभव से वंचित रह जाएगा, वह मुक्त नहीं हो सकेगा। उसके भीतर वासना दबी ही रह जाएगी। और दबी हुई वासना और भी खतरनाक है; क्योंकि उभरेगी, बार-बार उभरेगी, फिर-फिर उभरेगी। तुम दबाओगे और उभरेगी। इधर से दबाओगे, उधर से उभरेगी। एक दरवाजा बंद करोगे, दूसरा दरवाजा खोलेगी। और हर दरवाजा पहले दरवाजे से ज्यादा सूक्ष्म होगा। अच्छा यही है कि वासना को उसके सहज प्राकृतिक रूप में जान लिया जाए, पहचान लिया जाए।

©Kumar Ranjeet #सत्य#अध्यात्मिक #meditation
इस जगत के सारे प्यार, सारी प्रीतिया, सारे लगाव, सारी आसक्तिया अनुभव करना जरूरी हैं। अनुभव के सिवाय और कोई मुक्ति नहीं है। मन की पीड़ा से गुजरना ही होगा। मन के विषाद को सहना ही होगा। मन की हार को अनुभव करना ही होगा। कोई सस्ता रास्ता नहीं है। और भगोड़े सस्ता रास्ता खोज लेते हैं। वे अनुभव से वंचित रह जाएंगे। और जो अनुभव से वंचित रह जाएगा, वह मुक्त नहीं हो सकेगा। उसके भीतर वासना दबी ही रह जाएगी। और दबी हुई वासना और भी खतरनाक है; क्योंकि उभरेगी, बार-बार उभरेगी, फिर-फिर उभरेगी। तुम दबाओगे और उभरेगी। इधर से दबाओगे, उधर से उभरेगी। एक दरवाजा बंद करोगे, दूसरा दरवाजा खोलेगी। और हर दरवाजा पहले दरवाजे से ज्यादा सूक्ष्म होगा। अच्छा यही है कि वासना को उसके सहज प्राकृतिक रूप में जान लिया जाए, पहचान लिया जाए।

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