घूंँघट की आड़ (लघुकथा) अनुशीर्षक में👇👇:// बात उन दिनों की है जब भारत देश में छोटे से उम्र में विवाह कर दी जाती थी। मेरी दादी का भी 13 साल की उम्र में मेरे दादाजी के साथ जो ख़ुद 15 साल के थे विवाह हो गया था और ढाई साल बाद गौना कर के दादाजी के साथ अपने ससुराल यानी हमारे घर चली आईं। खेलने कूदने और पढ़ने के उम्र में वो दांपत्य जीवन जीने लगी। एक दिन दादाजी से उन्होंने कहा की मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, तो दादाजी ने घर वालों के चुपके से उन्होंने गांँव के पाठशाला में प्रवेश दिला दिया और दादी से बोला की तुम हमें अपने घूंँघट से पूरा चेहरा ढक कर म