नए दिन की शहर रात के बाद नए दिन की शहर आएगी दिन नहीं बदलेंगे तारीख बदल जाएगी हंसते हंसते कभी थक जाओ तो चुप कर रो लो यह है हंसी भीग के कुछ और चमक जाएगी जगमगाती हुई सड़कों पर अकेले ना फिरो शाम आएगी किसी मोड़ पर ड स जाएगी मुझे शराफत का अभी नाम में दो वक्त बदला तो तेरी राय भी बदल जाएगी वक्त नदियों को उछाले या उड़ाए पर्वत उम्र का काम गुजारना है गुजर जाएगी।। नए दिन की शहर।।#shakshi_writes #CalmingNature