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तू चला पूजने पत्थर तो मैं पहाड़ ना जाने बीते हैं कि

तू चला पूजने पत्थर तो मैं पहाड़
ना जाने बीते हैं कितने अषाढ़
घर की चकिया अब कोई ना पूजे
जिसका खाकर तू लगाए दहाड़।

तू है अपने कर्मो का भोगी 
है तू अपने इस तन का धोबी
तू रोज धोवे इस का तन का मैल
पर अन्ताः दुर्गन्ध कभी ना जाती।

हवा है चली आँधियाँ भी आयेंगी
पतझड़ हुआ नई कोपलें खिलेगीं
तू करता रहे अपनी मनमर्जियां
यह जिन्दगी दोबारा नहीं आयेगी। #life #virtue #worship
तू चला पूजने पत्थर तो मैं पहाड़
ना जाने बीते हैं कितने अषाढ़
घर की चकिया अब कोई ना पूजे
जिसका खाकर तू लगाए दहाड़।

तू है अपने कर्मो का भोगी 
है तू अपने इस तन का धोबी
तू रोज धोवे इस का तन का मैल
पर अन्ताः दुर्गन्ध कभी ना जाती।

हवा है चली आँधियाँ भी आयेंगी
पतझड़ हुआ नई कोपलें खिलेगीं
तू करता रहे अपनी मनमर्जियां
यह जिन्दगी दोबारा नहीं आयेगी। #life #virtue #worship