*तेरे होंठों की तलब* उम्र के दराज़ पर बस कुछ ही साँस बाकी है वो भी ना बीत जाएं कोई ऐसी बात कीजिए! हसरतें तो जैसे दिन पे दिन बढ़ती ही जा रही, घेर न ले हमें नींद, नींद से ऐसी बग़ावत कीजिए! कोई तूफ़ान उठ रहा साँसों में होश मेरे गुम हुए जा रहे, थम जाए ये तूफ़ाँ बाहों में ले लीजिए.. बूंद बूंद पिघल रही हूँ, तेरे होंठों की तलब में जिस्मों की प्यास बुझे ऐसी कोई हरक़त कीजिए! तड़प रहा मेरा तन-मन अब जिस्मों से रूह के मिलन को, मीट जाए ये कुछ हदों की दूरियाँ.. अब ना आए कोई रुकावट हम दोनों के दरमियाँ इतने पास आओ मेरे की दो जिस्म एक जाँ होइए! ये तपिश तन की और ये प्यास होंठों की बस तुम्हें छुने को है सनम लग जाओ सीने से बुझा दो..हर एक अगन की अब रहा नहीं जाता मुझसे तुम-बिन बस अब तो अपना बना ही लीजिए! हाँ मैंने माना कि मैं सीमाओं के पार जा नहीं सकती, और ना तुम अपने दिल को समझा पाते हो, आख़िर कब तक इम्तिहान इश्क़ की हो, ऐ ख़ुदा अब ना हमें दूर रहने की सज़ा दीजिए! तुम्हीं हो हमराह तुम्हीं मेरे मीत हो, हर सफ़र के हमसफ़र मेरे मनप्रीत हो,मेरे रोम-रोम पे पीया.. बस तेरी कहानी हो गई, चलता रहे ताउम्र ये दास्ताँ ऐसी कोई निशानी दीजिए! #कोराकाग़ज़ #kkतेरेहोठोंकीतलब #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #collabwithकोराकागज #yqbaba #yqdidi #हवा