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आया था इस शहर में एक मासूम सी शक्ल लेकर पर वक़्त ग

आया था इस शहर में एक मासूम सी शक्ल लेकर
पर वक़्त गुज़ारा मैंने बेक़ल होकर
चेहरे पर रौनक थी
दिल में इमानी थी
वक़्त गुजरता गया
और मै भी बदलता गया
हर कदम पर खुद की फरमानी थी
इस दौर में जाना इंसान क्या चीज़ है
शक्ल तो सभी की बनूर थी
पर ज़हनों में बेईमानी थी
फिर मैंने खुद में भी झांक कर देखा एक नजर
तो आरिज़ अली तौहीद तुझमें भी कुछ बेईमानी थी…...

                                                 -आरिज़ अली तौहीद #NojotoQuote Mujhme bhi kuch Beimaani thi
आया था इस शहर में एक मासूम सी शक्ल लेकर
पर वक़्त गुज़ारा मैंने बेक़ल होकर
चेहरे पर रौनक थी
दिल में इमानी थी
वक़्त गुजरता गया
और मै भी बदलता गया
हर कदम पर खुद की फरमानी थी
इस दौर में जाना इंसान क्या चीज़ है
शक्ल तो सभी की बनूर थी
पर ज़हनों में बेईमानी थी
फिर मैंने खुद में भी झांक कर देखा एक नजर
तो आरिज़ अली तौहीद तुझमें भी कुछ बेईमानी थी…...

                                                 -आरिज़ अली तौहीद #NojotoQuote Mujhme bhi kuch Beimaani thi