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कबीर प्रेम न चक्खिया-चक्खि न लिया साव। सूने घर का

कबीर प्रेम न चक्खिया-चक्खि न लिया साव।
सूने घर का पाहुना-ज्यूं आया त्यूं जाव।

कबीर कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने प्रेम को चखा नहीं, और चख कर स्वाद नहीं लिया, वह उस अतिथि के समान है जो सूने- निर्जन घर में जैसा आता है- वैसा ही चला भी जाता है-कुछ प्राप्त नहीं कर पाता !

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' प्रेम  स्वाद
कबीर प्रेम न चक्खिया-चक्खि न लिया साव।
सूने घर का पाहुना-ज्यूं आया त्यूं जाव।

कबीर कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने प्रेम को चखा नहीं, और चख कर स्वाद नहीं लिया, वह उस अतिथि के समान है जो सूने- निर्जन घर में जैसा आता है- वैसा ही चला भी जाता है-कुछ प्राप्त नहीं कर पाता !

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' प्रेम  स्वाद