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White ** बारिश ** ( रिमझिम ग़ज़ल ) चलो ढूंढ के ला

White  ** बारिश ** ( रिमझिम ग़ज़ल )

चलो ढूंढ  के लाते  हैं ,फिर दिन वो सुहाने,
किया करते थे मस्ती,बस बारिश के बहाने,

तब सिर   पर न था , जिम्मेदारी का बोझा,
ग़म की  जगह  पर, थे  ख़ुशियों के ठिकाने,

आरजुएँ भी दिल में,मचल मचल जाती थी,
गाता  था  दिल  झूम के ,ख़ुशियों के तराने,

बरसात का पानी ,दिलों में आग लगाता था,
बारिश में भीगते थे , उस  आग  को बुझाने,

धूल गए ज़िन्दगी के , सारे ख़्वाब बारिश में,
अब खुद को ढूँढते हैं, कि  कहाँ  हैं ठिकाने,

बारिश की बूंदें जब ,भिगो जाती हैं तन को,
याद आ जाते हैं ,वो अल्हड़ उम्र के ज़माने,

सावन आता है ,और आ के चला जाता है,
रीते रह जाते हैं , अब वो कजरी के तराने ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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