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एक ख़त: तेरे नाम °°°°°°°°°°°°°°°

एक ख़त: तेरे नाम                  
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तेरी गोद में मैं पली-बढ़ी,                                                                                                
चंदन सी पावन है तेरी जमी।                                                                                           
तेरी ख़ुशबू है जैसे सुमन कोई,                                                                                        
 तू है जन्मभूमि जननी मेरी...                                                                                           

                                               मेरे हर दुख-सुख की,
                                               सदा साथी-संगी रही।
                                                शरारतों-पिटाइयों की,
                                                 तू प्रत्यक्ष साक्षी रही...

                                                                        मेरी शान तू और                                
                                        स्वाभिमान रही।
                                           मेरा अस्तित्व और
                                          तू पहचान रही...

धूप और वर्षा झेल के भी,                                                                                            
हमारे लिए तू सदा ही रही तनी।                                                                                    
       तुझसे ही तो कई-कई डोली,                                                                                               
 कई-कई अर्थी सजके चली...                                                                                        
                                                                        
                                                   तू पितामह-मातामही रही 
                                           और मात-तात भी ।
                                                         नटखट सखी-मीत भी रही      
                                               और अनुजा-भ्रात भी...

                                             माना कि तेरे गोद में, 
                                        मैं अब हूँ ही नहीं।
                                                फिर भी प्रतिपल मुझमें,
                                                तेरी मौज़ूद कहीं...      

 मेरे मन आँगन में तेरे प्यारे आँगन की,                                                                                
 भव्य मंजुल तस्वीर है टंगी।                                                                                              
तेरा आँचल हरपल लहराता है यादों में,                                                                              
 और तेरी रोली माटी में "हृदय" रंगी...                                                                                  
-Rekha $harma "मंजुलाहृदय"

©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #Proud_uttarpradeshi #मगहर
#घर #जन्मभूमि #उत्तर_प्रदेशी
एक ख़त: तेरे नाम                  
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तेरी गोद में मैं पली-बढ़ी,                                                                                                
चंदन सी पावन है तेरी जमी।                                                                                           
तेरी ख़ुशबू है जैसे सुमन कोई,                                                                                        
 तू है जन्मभूमि जननी मेरी...                                                                                           

                                               मेरे हर दुख-सुख की,
                                               सदा साथी-संगी रही।
                                                शरारतों-पिटाइयों की,
                                                 तू प्रत्यक्ष साक्षी रही...

                                                                        मेरी शान तू और                                
                                        स्वाभिमान रही।
                                           मेरा अस्तित्व और
                                          तू पहचान रही...

धूप और वर्षा झेल के भी,                                                                                            
हमारे लिए तू सदा ही रही तनी।                                                                                    
       तुझसे ही तो कई-कई डोली,                                                                                               
 कई-कई अर्थी सजके चली...                                                                                        
                                                                        
                                                   तू पितामह-मातामही रही 
                                           और मात-तात भी ।
                                                         नटखट सखी-मीत भी रही      
                                               और अनुजा-भ्रात भी...

                                             माना कि तेरे गोद में, 
                                        मैं अब हूँ ही नहीं।
                                                फिर भी प्रतिपल मुझमें,
                                                तेरी मौज़ूद कहीं...      

 मेरे मन आँगन में तेरे प्यारे आँगन की,                                                                                
 भव्य मंजुल तस्वीर है टंगी।                                                                                              
तेरा आँचल हरपल लहराता है यादों में,                                                                              
 और तेरी रोली माटी में "हृदय" रंगी...                                                                                  
-Rekha $harma "मंजुलाहृदय"

©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #Proud_uttarpradeshi #मगहर
#घर #जन्मभूमि #उत्तर_प्रदेशी