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मेरे शिक्षक कुम्भार के जैसे हल्के हाथों से घड़े का

मेरे शिक्षक कुम्भार के जैसे हल्के हाथों से
 घड़े का मुझको रूप दिया ,
पाठ हमे जब याद नही था 
कान पकड़ कर मरोड़ दिया ,
राह दिखाई उजियारी की
 खुद बनकर मेरे दीपशिखा ..
बिना अर्थ के इस जीवन को 
गुरु ने ही था संकल्प दिया !

(( "राहुल" )) #MereShikshak 
कुम्भार के जैसे हल्के हाथों से
 घड़े का मुझको रूप दिया ,
पाठ हमे जब याद नही था 
कान पकड़ कर मरोड़ दिया ,
राह दिखाई उजियारी की
 खुद बनकर मेरे दीपशिखा ..
बिना अर्थ के इस जीवन को
मेरे शिक्षक कुम्भार के जैसे हल्के हाथों से
 घड़े का मुझको रूप दिया ,
पाठ हमे जब याद नही था 
कान पकड़ कर मरोड़ दिया ,
राह दिखाई उजियारी की
 खुद बनकर मेरे दीपशिखा ..
बिना अर्थ के इस जीवन को 
गुरु ने ही था संकल्प दिया !

(( "राहुल" )) #MereShikshak 
कुम्भार के जैसे हल्के हाथों से
 घड़े का मुझको रूप दिया ,
पाठ हमे जब याद नही था 
कान पकड़ कर मरोड़ दिया ,
राह दिखाई उजियारी की
 खुद बनकर मेरे दीपशिखा ..
बिना अर्थ के इस जीवन को