इन्हें मनाऊं कैसे.. कुछ छिपाए हैं ये दिल में बात उन्हें निकलवाऊ कैसे.. रूठे रूठे हैं हुज़ूर इन्हें मनाऊं कैसे.. भावों की ये भूखीं थी यों तो ना रूठती थी फिर क्या हुई बात इन्हें मनाऊं कैसे.. साड़ी भी लाया.. गहना भी लाया.. वादा घुमाने का भी किया पर न बनी बात इन्हें मनाऊं कैसे... मिलने में कितने दूर से आया फिर भी रूठी रूठी हैं जनाब इन्हें मनाऊं कैसे.. छोटे मोटे अस्त्रों से ना काम चलेगा ब्रह्मास्त्र का उपयोग करना मुझे पड़ेगा... मायके ले जा सासू मां से मिलवाना इन्हें पड़ेगा... रूठी रूठी हैं हुज़ूर इन्हें मनाऊं कैसे... ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1071 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।