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श्रध्दांजलि बचपन से ही मेरी माँ मेरे लिए भगवान थी।

श्रध्दांजलि
बचपन से ही मेरी माँ मेरे लिए भगवान थी।कोई उन्हें भला-बुरा कहता या शिकायत करता तो मैं सुन नहीं पाती। पिताजी कभी उन्हें डाँटते तो मेरी नजर में वो बुरे बन जाते।दादी माँ को कभी कुछ कहती तो मैं उनसे मुँह फुला लेती और बात नहीं करती।मेरी नजर में मेरी माँ दुनिया की सबसे अच्छी माँ थी।
मेरी माँ की आत्मा, परमात्मा में विलीन हो चुकी हैं।कल उनकी पुण्यतिथि है। मैं चाहती हूँ कि मेरी नजरों से सारी दुनिया देखे-समझे कि माँ क्या होती है?कैसी होती है? उनके प्रति यही मेरी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
पार्ट2

©shashikala mahato
  #श्रद्धांजलि