घुॅ॑घट की सादगी... इस दुनिया में अभी भी बहुत खूबसूरती है जैसे सच्चे और सही कर्म करने वाले इंसान, प्रकृति, गांव का सादा जीवन, सही ज्ञान ; इन सब की तुलना मैं एक घुॅ॑घट में छुपी सादगी वाली लड़की से कर रही हूॅ॑I (इसका अर्थ यह नहीं कि घुॅ॑घट ओढ़ रखी है) है साॅ॑स चल रही सबकी, जिंदा सभी हो जरूरी नहीं.. है आस सिर्फ तुम्हारी, घुॅ॑घट की सादगी की, यहाॅ॑ मिलावट लाजमी नहीं... निहारने की साजिश होगी सबकी, पर है अनमोल सादगी तुम्हारी, इसकी कोई कीमत नहीं.. पड़ेंगे छिंटे लाल रंग की, उजले दामन पर तुम्हारी, टूट पर बिखरना नहीं... बांधी जाएंगी गठरी, रुकावटों के सामानों की, आॅ॑चल में तुम्हारी.. भले उनको अगले पल की, अपनी ख़बर नहीं.. बाग में झूले झूलोगी, सावन के गीत जब गाओगी.. खेत की हरियाली में पड़ी, बारिश की बूॅ॑दों की.. पथराई नज़रों की इनमें भी, है आग लगी.. समझ गई होगी खूबसूरती, घुॅ॑घट की सादगी की.. बचा के रखना सादगी को अपनी, ताकि रहे बची, खूबसूरती दुनिया की... -रानी यादव #घुंघट की सादगी