रूप तेरा निराला जो देखे मन भावन हो जाये सदीओं से प्यासी पड़ी जमीन का सृंगार भरा दमन हो जाये तुझे छूकर गयी हवा पतझड़ को भी सावन कर जाये है विनती मेरी हो जाऊं यमुना जल सा पवित्र जो मुझे पाये वो तन पावन हो जाये -शुभम सैनी meri 6th class me likhi hui kavita #