सोच के जिसे मंजिल हम बढ़े थे जिस ओर वो तो मंजिल थी ही नहीं था सिर्फ एक मोड़ जहां से गुजर के हमे जाना था दूसरी ओर! 24.10.20 🎀 मंज़िल की ओर 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 आज की प्रतियोगिता (Challenge-363) "बचपन की यादें" को जीतने के लिए "मंज़िल की ओर" पर कोलाब करना अनिवार्य है। 🎀 4 लेखकों को मिलकर कोलाब करना है और कुछ अनोखा लिखने की कोशिश करनी है। 🎀 Font छोटा रखिएगा जिससे वालपेपर खराब न हो। कम लिखिए या ज़्यादा लिखिए परन्तु अपना लिखिए।